पुरी जगन्नाथ मंदिर – ओडिशा: अनकnown तथ्य, इतिहास और जानकारी
पुरी जगन्नाथ मंदिर, जो ओडिशा के पुरी शहर में स्थित है, भारतीय संस्कृति और धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है, जो भगवान कृष्ण के स्वरूप का एक रूप है। इस मंदिर की भव्यता, इसकी अनूठी शैली और यहाँ आयोजित किये जाने वाले रथ यात्रा जैसे प्रमुख त्योहार इसे न केवल देश में बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध बनाते हैं।
इतिहास
पुरी जगन्नाथ मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है, जो लगभग 12वीं शताब्दी तक वापस जाता है। इसे सुलोचना के राजा, अनंग भीम देव ने बनवाया था। मंदिर का निर्माण ओडिशा के विशेष काले पत्थर से किया गया है और इसका वास्तुकला भारतीय मंदिरों की एक अद्वितीय शैली को दर्शाता है। कहा जाता है कि भगवान जब कलियुग में आएंगे, तब जगन्नाथ पुरी में स्थापित होंगे।
मंदिर की भूमिका हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी वर्णित है। स्कंद पुराण में इसे शुद्ध स्थल माना गया है, जहां पर उपासना करने से सभी भक्ति के फल प्राप्त होते हैं। यहाँ यह भी कहा गया है कि यहाँ भगवान जगन्नाथ स्वयं अपने भक्तों के दर्शन करने के लिए आते हैं।
जगन्नाथ पूजा और रथ यात्रा
जगन्नाथ मंदिर में भगवान की पूजा हर दिन बड़े धूमधाम से की जाती है। यहाँ की विशेष रथ यात्रा हर वर्ष मनाई जाती है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्राको एक विशाल रथ पर चढ़ाया जाता है और फिर उसे खींचा जाता है। यह रथ यात्रा बहुत विशाल होती है और लाखों लोग इसमें शामिल होते हैं। इस यात्रा का उद्देश्य भगवान को उनके भक्तों के बीच लाना होता है।
योद्धा द्रव्य, धूप, गाय का दूध, फल-फूल जैसी सामग्रियों से भगवान को स्नान कराना और उन्हें भोग अर्पित करना यहाँ का विशेष प्रावधान है। इस दौरान मंदिर संपूर्ण रूप से भक्तों से भरा रहता है जो कि पूजा-पाठ और भजन-कीर्तन में व्यस्त रहते हैं।
संरचना और वास्तुकला
पुरी जगन्नाथ मंदिर की वास्तुकला न केवल अद्वितीय है बल्कि यह भारतीय संस्कृति की व्यापकता को भी दर्शाती है। मंदिर की मुख्य इमारत शिखर पर छत्र (छत) और कलश के साथ बहुत ही भव्य और आकर्षक है। इसका मुख्य प्रवेश द्वार ‘सिंहद्वार’ के रूप में जाना जाता है। इसके सम्मुख विशालता से हवा करते हुए ध्वज का एक चिह्न होता है।
मंदिर का मुखिया या पुजारी ‘द्वारका’ कहलाता है, जो की धार्मिक कार्यों और अनुष्ठानों का संचालन करते हैं। मंदिर परिसर में श्री जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्र की प्रतिमाएँ स्थापित हैं। ये प्रतिमाएँ आमतौर पर लकड़ी से बनी होती हैं, जो कि अन्य मंदिरों में पाई जाने वाली प्रतिमाओं की तुलना में अति विशेष हैं।
पुरातात्त्विक महत्व
पुरी जगन्नाथ मंदिर केवल धार्मिक केंद्र नहीं है बल्कि यह भारतीय पुरातात्त्विक अध्ययन का भी महत्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ कई प्राचीन चित्रकला, शिल्प और अन्य सांस्कृतिक रूपों का अवलोकन किया जा सकता है। मंदिर के चारों ओर फैली कला और वास्तुकला भारतीय परंपरा के बारे में बहुत कुछ बताती है।
यूं तो इस मंदिर का मुख्य आकर्षण भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा है, लेकिन इसके चारों ओर की नक्काशियाँ और कलाकृतियाँ भी देखने लायक हैं। इनमें से कई कलाकृतियाँ कालू पींडा और ब्लैक ग्रेनाइट से बनी हैं, जो सुंदरता और शुद्धता के प्रतीक हैं।
जगन्नाथ मंदिर के कुछ अनजाने तथ्य
1. **चौकड़ी बाबा**: मंदिर में एक विशेष भक्त होते हैं जिन्हें ‘चौकड़ी बाबा’ कहा जाता है। ये हर समय भगवान की पूजा करते हैं और यात्रा के दौरान उनका विशेष महत्व होता है।
2. **सुरक्षा प्रणाली**: मंदिर के अंदर एक शक्तिशाली सुरक्षा प्रणाली है। यहाँ पर किसी भी अनहोनी से बचने के लिए कई सुरक्षा कर्मचारी तैनात होते हैं।
3. **भोग का इतिहास**: मंदिर में भगवान को प्रतिदिन 56 प्रकार के विभिन्न भोग अर्पित किए जाते हैं, जिन्हें ‘महाप्रसाद’ कहा जाता है। ये भक्तों के लिए प्रसाद के रूप में वितरित किए जाते हैं।
4. **विशेष रोनक**: रथ यात्रा के दौरान भगवान की मूर्तियाँ हर बार नई होती हैं। इस प्रक्रिया को ‘नवाकलेबर’ कहते हैं, जहाँ पुराने भगवान की मूर्तियों को प्रतिस्थापित किया जाता है।
5. **कानून**: पुरी जगन्नाथ मंदिर में काम करने वाले पुजारियों के लिए एक विशेष कोड और नियम लागू होते हैं। इनमें विवाह, यात्रा और अन्य व्यक्तिगत गतिविधियों पर कई प्रतिबंध होते हैं।
निष्कर्ष
पुरी जगन्नाथ मंदिर न केवल हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण स्थल है बल्कि यह भारतीय संस्कृति, कला और धरोहर का भी प्रतीक है। यहाँ की भक्ति, उत्सव और धामक दृश्य हर साल लाखों भक्तों को आकर्षित करते हैं। यदि आप भारतीय संस्कृति और धर्म को समीप से जानना चाहते हैं, तो पुरी का यह मंदिर आपके लिए एक अनिवार्य स्थान होना चाहिए।
इस अद्वितीय मंदिर की यात्रा न केवल धार्मिक होती है बल्कि यह मन और हृदय का शुद्धिकरण करने में भी सहायक होती है। जगन्नाथ मंदिर की ओर एक बार अवश्य जाएँ और इस पवित्र स्थल का अनुभव करें।
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