लिंगराज मंदिर – भुवनेश्वर, उड़ीसा: अद्भुत तथ्य, इतिहास और जानकारी

लिंगराज मंदिर, भारत के उड़ीसा राज्य की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित एक प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे भारतीय वास्तुकला का एक अद्वितीय उदाहरण माना जाता है। मंदिर की खूबसूरती, इसकी संरचना और इसका धार्मिक महत्व इसे श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख स्थल बनाता है। इस लेख में हम लिंगराज मंदिर के अद्भुत तथ्यों, इसके इतिहास और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पर चर्चा करेंगे।

लिंगराज मंदिर का इतिहास

लिंगराज मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में राजा जजाति केशरी द्वारा किया गया था। यह मंदिर सम्राट हेमराज काश्यप द्वारा बनवाया गया माना जाता है। लिंगराज, जिसका अर्थ है ‘लिंग का राजा’, को उड़ीसा में भगवान शिव के प्रमुख रूपों में से एक माना जाता है। मंदिर में एक बड़ा शिवलिंग है जिसका औसत क्षेत्रफल लगभग 2.5 मीटर है और यह साल भर जल से भरा रहता है।

मंदिर की वास्तुकला

लिंगराज मंदिर की स्थापत्य कला खासतौर पर उड़िया शैली में विकसित की गई है। इसका मुख्य गर्भगृह गोलाकार रूप में है और इसे 55 मीटर ऊंची शिखर पर सुशोभित किया गया है। मंदिर का निर्माण खंडित पत्थरों से किया गया है और इसकी दीवारों पर विविध देवी-देवताओं की खूबसूरत उकेरे गए हैं। इस मंदिर की विशेषता इसकी परिसर में फैली हरियाली और शांत वातावरण है, जो सभी भक्तों को ध्यान और साधना के लिए प्रेरित करती है।

धार्मिक महत्व

लिंगराज मंदिर का भारतीय धर्म में एक विशिष्ट महत्व है। यह temple उन 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है जहाँ लोग विशेष पूजा करते हैं। यहाँ हर वर्ष महाशिवरात्रि, अन्नकूट और रुद्रविषेक जैसे प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। भक्तों की संख्या इतनी अधिक होती है कि इन अवसरों पर पूरा परिसर श्रद्धालुओं से भर जाता है। इसके अलावा, यह मंदिर उन लोगों के लिए विशेष है जो शिवलिंग की पूजा करते हैं और शिव के प्रति अपनी भक्ति का प्रदर्शन करना चाहते हैं।

आकर्षण और पर्यटन

लिंगराज मंदिर सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह अपने चारों ओर के खूबसूरत वातावरण के लिए भी जाना जाता है। मंदिर के परिसर में छोटे-छोटे भूखंडों में स्थित कई अन्य छोटे मंदिर भी हैं। पर्यटक यहाँ आकर न केवल लिंगराज के दर्शन करते हैं, बल्कि आसपास के अन्य ऐतिहासिक स्थलों का भी आनंद लेते हैं। इसके अलावा, भुवनेश्वर में और भी कई प्रसिद्ध मंदिर हैं जैसे कि पार्श्वनाथ मंदिर, भस्मेश्वर मंदिर आदि, जो इस क्षेत्र की धार्मिकता को और भी बढ़ाते हैं।

समारोह और उत्सव

लिंगराज मंदिर के प्रमुख समारोहों में महाशिवरात्रि सबसे प्रमुख है। इस दिन बड़ी संख्या में भक्त यहाँ आते हैं ताकि भगवान शिव की पूजा कर सकें। इन उत्सवों में भक्तों द्वारा विशेष पूजा, भजन-कीर्तन, और अनुष्ठान किए जाते हैं। यहाँ आने वाले श्रद्धालु भोग, प्रसाद चढ़ाते हैं और मंदिर का विशेष दर्शन करते हैं। इसके अलावा, पेशेवर योगी और साधु भी यहाँ पहुँचते हैं, जो शिव की साधना में लगे रहते हैं।

लिंगराज मंदिर की देखभाल

लिंगराज मंदिर की देखभाल और इसके प्रशासन का कार्य लिंगराज मंदिर प्रशासन समिति द्वारा किया जाता है। यह समिति मंदिर के विकास, पूजा और अन्य धार्मिक गतिविधियों का संचालन करती है। इस समिति के अंतर्गत मंदिर की सफाई, भक्तों की व्यवस्था, भोग और प्रसाद का वितरण, तथा मंदिर की सुरक्षा का काम किया जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि मंदिर का वातावरण हमेशा भक्तों के लिए सुखद एवं सुरक्षित रहे।

कैसे पहुँचें

लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर के केंद्र में स्थित है, जिससे यह शहर के अन्य महत्वपूर्ण स्थलों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। आप यहाँ आसानी से सार्वजनिक परिवहन, जैसे बस या ऑटो-रिक्शा द्वारा पहुँच सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन भुवनेश्वर स्टेशन है, जो यहाँ से लगभग 8 किमी दूर है। इसके अलावा, बीजू पट्नायक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी निकटतम हवाई अड्डा है, जिससे आप सीधे भुवनेश्वर पहुँच सकते हैं।

निष्कर्ष

लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर में एक वैभवशाली ऐतिहासिक स्थल है, जो न केवल अपने धार्मिक महत्व के लिए बल्कि अपनी वास्तुकला और खूबसूरत परिवेश के लिए भी जाना जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक दोनों ही इस मंदिर की अद्वितीयता और सांस्कृतिक महत्व का अनुभव करते हैं। यदि आप कभी भी उड़ीसा की यात्रा करते हैं, तो लिंगराज मंदिर आपके यात्रा कार्यक्रम में अवश्य शामिल होना चाहिए।

अधिक जानकारी के लिए आप इस लिंक पर जा सकते हैं:
https://www.ancient-orissa.com/lingaraj-temple

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By Aparna Patel

Aparna (www.womenday.in) is the founder, she started her writing career in 2018. She has another site named (www.hollymelody.com) where she publishes travel related articles where she has published more than 1000+ articles. Aparna likes to write on various subjects.

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