चैत्र नवरात्रि 2024: जैसा की आप सभी यह जानते ही होंगे कि हिंदू धर्म में साल में 4 नवरात्रि (माघ, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन) मनाई जाती है जिनमें – चैत्र, और शारदीय नवरात्रि का काफी अधिक महत्व है और आप सभी ने देखा होगा की नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापन किया जाता है, और फिर किसी मिट्टी के पात्र में जौ(Barley) बोते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं की नवरात्रि के पहले दिन जौ क्यों बोया जाता है? अगर नहीं तो चलिए आज आपको इस ब्लॉग के माध्यम से बताते है इसकी कथा।
क्या होगा जब 100 वर्षों के लिए बारिश रुक जाएगी?
मान्यता यह है की – देवी शाकंबरी (Shakambari Devi) से जुड़ी हुई है – जिससे जुड़ी कथा का वर्णन दुर्गा सप्तशती से किया गया है। दुर्गा सप्तशती के 11वे (ग्यारवें) अध्याय में वर्णित कथा के अनुसार देवी देवताओं की स्तुति से प्रसन्न होने पर देवी शाकंबरी सभी देवी देवताओं से कहती हैं कि – देवताओं! जब पृथ्वी पर 100 वर्षों के लिए वर्षा रुक जाएगी और पानी का अभाव हो जाएगा उसी समय मुनियों के स्तवन यानी स्तुति करने पर मैं पृथ्वी पर अयोनिजा रूप में प्रकट होंगी और अपने 100 नेत्रों से मुनियों को देखूंगी। अतः मनुष्य शताक्षी नाम से मेरा कीर्तन करेंगे।
सबके प्राणों की रक्षा कौन करेगा?
देवता उस समय में अपने शरीर से उत्पन्न हुए शकुन द्वारा समस्त संसार का भरण पोषण करूंगी और जब तक वर्षा नहीं होगी तब तक विश्वास ही सबके प्राणों की रक्षा करेंगे। ऐसा करने के कारण पृथ्वी पर शाकंभरी के नाम से मेरी ख्याति होगी और ऐसा माना जाता है की देवी के शरीर से उत्पन्न हुए शार्क जौ (Barley) ही थे और इसीलिए हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य जौ के बिना अधूरा माना जाता है। शायद यह भी माना जाता है कि सृष्टि में सबसे पहली फसल जौ ही थी और यही वजह है कि जौ को हिंदू धर्म ग्रंथो में पूर्ण फसल की मान्यता दी गई है।
नवरात्री में केवल इस कथा के कारण ही जौ नहीं बोई जाती बल्कि – इससे जुड़ी और भी मान्यताएं हैं. क्या हैं – यहाँ देखें!
नवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
हिंदू धर्म-ग्रंथो में वर्णित कथा के अनुसार: एक बार देव गुरु बृहस्पति ने ब्रह्मा जी से सवाल किया कि हे! ब्रह्मा नवरात्रि क्यों मनाई जाती है? तब ब्रह्मा जी ने कहा कि बृहस्पति तुम्हारे इस प्रश्न का उत्तर इस कथा में छुपा हुआ है –
बहुत साल पहले, मनोहर नगर में एक अनाथ ब्राह्मण रहा करता था। जिसका नाम पिठत था। वह देवी दुर्गा का बहुत बड़ा भक्त हुआ करता था। युवा होने पर उसकी शादी हुई और फिर कुछ दिनों के बाद उसकी पत्नी ने एक कन्या को जन्म दिया। जिसका नाम सुमति रखा गया। जब उस कन्या को ज्ञान हुआ, तब जब भी पिठत देवी दुर्गा की पूजा अर्चना करता। वह कन्या वहां बैठी रहती। लेकिन एक दिन वह कन्या देवी दुर्गा की पूजा में बैठने के बजाय अपनी सहेलियों के संग खेलने चली गई। यह देख पिठत अपनी पुत्री पर क्रोधित हो गया और उसके पास जाकर कहने लगा.
अरे दुष्ट! आज तुमने मां दुर्गा की पूजा क्यों नहीं कि – इस अपराध के लिए मैं तेरी शादी एक कुष्ठ रोग से ग्रसित युवक से कर दूंगा। पिता की बातें सुनकर सुमति को बड़ा दुख हुआ, लेकिन वह अपने पिताजी जी से बोली की… बाऊजी में आपकी पुत्री हूं और आप जैसा चाहे वैसा कर सकते हैं। अगर मेरे भाग में कुष्ठ रोगी पति ही लिखा होगा तो मैं क्या कर सकती हूं, क्योंकि जो इंसान जैसा कर्म करता है, उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है। क्योंकि कर्म करना मनुष्य के अधीन है पर फल देना ईश्वर के अधीन है।
अपनी पुत्री सुमति के मुँह से ऐसी बातें सुनकर पिठत का क्रोध और बढ़ गया और इसी क्रोध में आकर उसने कुछ दिनों बाद अपनी कन्या का विवाह एक कुष्ठ रोग से कर दिया। विवाह के बाद जब सुमति अपने ससुराल को जाने लगी तो पिता ने कहा – कि बेटा अपने कर्मों का फल भोगो। देखें भाग्य के भरोसे रहकर क्या करती हो। पिता की बातें सुनकर सुमति सोचने लगी क्या सच में मेरा भाग्य इतना खराब है, जो मुझे कुष्ठ रोगी से ग्रस्त पति मिला।
क्या हुआ जब देवी माँ दुर्गा प्रकट हुईं?
फिर वह अपने पति के साथ वन में चली गई और फिर अगले दिन देवी दुर्गा – सुमति के सामने प्रकट हुई और बोली – हे पुत्री! मैं तुमसे प्रसन्न हूं और तुम जो चाहे वह वरदान मांग सकती हो.. तब सुमति बोली कि हे देवी! आप कौन हैं? मैंने आपको आज से पहले कभी नहीं देखा। तब मां दुर्गा बोली – हे पुत्री! मैं आदिशक्ति भगवती हूं और मैं तुम्हारे पूर्व जन्म के पुण्य के प्रभाव से प्रसन्न हूं।
देवी दुर्गा की बातें सुनकर सुमति ने कहा – माँ में पिछले जन्म में कौन थी? कृपया मुझे विस्तार से बताइए।
देवी बोली पुत्री पिछले जन्म में तुम भेल की पत्नी थी। एक दिन तुम्हारे पति ने चोरी की और सिपाहियों ने तुम दोनों को पड़कर कारागार में बंद कर दिया। उन लोगों ने तुम दोनों को भोजन भी नहीं दिया।उसी समय नवरात्र का दिन चल रहे थे और तुम दोनों ने नवरात्रि के दिनों में कुछ भी नहीं खाया और ना ही जल पिया था। जिस कारण अनजाने में ही सही लेकिन तुम्हारा नौ दिनों तक नवरात्र का व्रत हो गया और उसी व्रत के प्रभाव से प्रसन्न होकर मैं तुझे यहां वरदान देने आई हूं।
तब सुमति बोली – हे माँ! अगर आप मुझे कोई वरदान देना चाहती हैं तो मेरे पति को कोड़ से मुक्त कर दीजिए। तब मां दुर्गा ने कहा पुत्री नवरात्रि के 1 दिन का पुण्य तुम अर्पण करो, तुम्हारा पति निरोध हो जाएगा। फिर सुमति ने ऐसे ही किया और उसका पति निरोग हो गया।
देवी माँ ने बताई नवरात्र में 9 दिन तक विधिपूर्वक व्रत कैसे करें?
यह देख सुमति – देवी की स्तुति करने लगी। सुमति की बातें सुनकर देवी बहुत प्रसन्न हुई और फिर नवरात्र व्रत की विधि विस्तार से बताते हुए कहा –
- हे पुत्री नवरात्र में 9 दिन तक विधिपूर्वक व्रत करना।
- यदि दिन भर का व्रत ना कर सके, तो एक समय भोजन करें।
- विद्वान ब्राह्मणों से पूछ कर घट स्थापन करें और महाकाली, महालक्ष्मी और महा सरस्वती देवी की मूर्तियां स्थापित कर, उनकी विधि विधान पूजा करें, और पुष्पों से विधिपूर्वक अध्याय दें.
- इन 9 दिनों में जो कुछ दान कर सकती हो वह जरूर करना।
- नवरात्र व्रत करने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यह कहकर देवी अंतर ध्यान हो गईं।
तो मित्रों आपको नवरात्रि से जुड़ी यह कथा कैसी लगी नीचे कमेंट करके अवश्य बताएं और जय माता दी जरूर लिखें।
चैत्र नवरात्रि पूजा की तैयारियों कैसे करें?
चैत्र नवरात्रि पूजा की तैयारियों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। पूजा क्षेत्र की सफाई, आवश्यक पूजा सामग्री का संग्रह, और पूजा के आध्यात्मिक महत्व के लिए मानसिक तैयारी इनमें शामिल है।
इसके लिए तैयारियों को सहायक बनाने के लिए, यहां एक सरल सारणी दी गई है जो चैत्र नवरात्रि पूजा के लिए आवश्यक पूजा सामग्री को दर्शाती है:
- पूजा सामग्री मात्रा धूपबत्ती – 1 पैकेट
- फूल 1 माला फल – 5 प्रकार
- नारियल – 1
- घी 1 छोटा डिब्बा
- ये सामग्री, जब पहले से व्यवस्थित और तैयार किए जाते हैं, तो एक स्मूद और बिना रुकावट की पूजा को सुनिश्चित करते हैं।
इसके अलावा, महत्वपूर्ण है कि:
पूजा क्षेत्र को एक साफ कपड़े, देवी, देवताओं की मूर्तियों या छवियों और किसी भी अन्य पवित्र वस्तुओं के साथ सजाया जाए जो व्यक्तिगत महत्व रखती है।
एक अर्थपूर्ण और संतोषप्रद चैत्र नवरात्रि पूजा के लिए, ये तैयारियाँ महत्वपूर्ण हैं और समग्र आध्यात्मिक अनुभव में योगदान करती हैं।
चैत्र नवरात्रि पूजा सामग्री और तैयारी
चैत्र नवरात्रि पूजा के लिए सही पूजा सामग्री और एक अच्छे से तैयार किए गए सेटअप की जरुरत होती है। यहां बुनियादी पूजा सामग्री की तेज़ी से सूची है:
- पूजा सामग्री मात्रा
- धूपबत्ती 1 पैकेट
- फूल 1 माला
- फल 5 प्रकार
- नारियल 1
इन सामग्रियों को एक साफ और शांत पूजा की तैयारी में व्यवस्थित करना अनुशासित अवस्था में अनुष्ठान के लिए एक उपयुक्त वातावरण बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, सुनिश्चित करें कि पूजा की तैयारी में सहभागियों के लिए आरामदायक बैठने की व्यवस्था शामिल है।
अंत में, पूजा आरम्भ करने से पहले एक दीया जलाना सलाह दी जाता है, क्योंकि यह दिव्य ऊर्जा की उपस्थिति का प्रतीक होता है और आसपास को सकारात्मकता से प्रकाशित करता है।
चैत्र नवरात्रि पूजा के चरण
चैत्र नवरात्रि पूजा के लिए तैयारियों को पूरा करने और पूजा सामग्री को सेट करने के बाद, चैत्र नवरात्रि पूजा के विधि का सावधानी से और ईमानदारी से पालन करना महत्वपूर्ण है। निम्नलिखित सारणी में पूजा में शामिल मुख्य कदमों की संक्षिप्त जानकारी प्रदान की गई है:
कैसे करें-
- पूजा क्षेत्र को शुद्ध करें और मंदिर की तैयारी करें
- फूल और धूप के साथ देवता को प्रार्थना अर्पित करें
- आरती करें और देवता को प्रसाद अर्पित करें
पूजा के दौरान एक शांत और ध्यानयुक्त मनोविज्ञान बनाए रखना महत्वपूर्ण है। मंत्रों को आदर सहित जपना और कृतज्ञता और आभार के साथ आशीर्वाद और दिव्य मार्गदर्शन की विनती करना न भूलें।
पूजा के समापन के बाद, आध्यात्मिक अर्थ की पुनरावलोकन के लिए एक क्षण लें और इस पवित्र अवसर में भाग लेने के लिए आभार व्यक्त करें।
चैत्र नवरात्रि 2024: मंत्रों का जाप कैसे करें?
चैत्र नवरात्रि के दौरान मंत्र जप करने से अत्यधिक आध्यात्मिक लाभ मिलने का विश्वास है। मंत्रों द्वारा उत्पन्न ध्वनियों से परिवेश को शुद्ध करने और सकारात्मक ऊर्जाओं को आह्वान करने में सहायक होता है।
पूर्ण प्रभाव महसूस करने के लिए मंत्रों का जप भक्ति और ध्यान के साथ करना सिफारिश किया जाता है।
चैत्र नवरात्रि के दौरान आमतौर पर जप किए जाने वाले कुछ शक्तिशाली मंत्र हैं:
मंत्र अर्थ
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
अर्थ: यह मंत्र देवी दुर्गा को समर्पित है और माना जाता है कि यह शक्ति और संरक्षण प्रदान करता है।
- ॐ दुं दुर्गायै नमः
अर्थ: यह मंत्र देवी दुर्गा को नमस्कार करता है और उसकी कृपा और संरक्षण के लिए जपा जाता है।
सुझाव: ईमानदारी और शुद्ध इरादों के साथ मंत्र जप करें ताकि दिव्य ऊर्जा से जुड़ें और आंतरिक शांति और सामंजस्य अनुभव करें।
मंत्रों का जप करने से क्या होता है?
चैत्र नवरात्रि के दौरान मंत्रों का जप करना गहरी आध्यात्मिक और भावनात्मक चिकित्सा का लाभ दे सकता है। मंत्रों की ध्वनियाँ ब्रह्मांड की ऊर्जा के साथ समर्थित होती हैं, आंतरिक चिंतन और विकास के लिए एक समाधानात्मक वातावरण बनाती हैं।
इसके अतिरिक्त, मंत्रों के आवर्ती जप से गहरी ध्यान और शांति की स्थिति तक पहुंचा सकता है, जो शांति और सुख की भावना को बढ़ावा देता है।
यह एक शक्तिशाली अभ्यास है जो अभ्यासकों को दिव्य ऊर्जा से जोड़ता है और आध्यात्मिक अनुकूलता की भावना को बढ़ावा देता है।
जय माता दी
समापनरूप में, चैत्र नवरात्रि 2024 भक्तों के लिए महत्वपूर्ण समय है, जब वे दिव्य महिला ऊर्जा का उत्सव मनाने के लिए एकत्र होते हैं।
इस महान समय के दौरान की गई पूजा विधि और मंत्रों का अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व होता है, जो व्यक्तियों को आंतरिक शांति और ज्ञान की ओर मार्गदर्शन करता है। यह एक चिंतन, भक्ति और दिव्य आशीर्वादों का उत्सव है।
इस त्योहार के आयोजन में भाग लेने वाले सभी को खुशी, समृद्धि और आध्यात्मिक पूर्णता का अनुभव करने की शुभकामनाएं।
FAQ: चैत्र नवरात्रि 2024
प्रश्न: चैत्र नवरात्रि 2024 की तिथियां क्या हैं?
चैत्र नवरात्रि 2024 का उत्सव 9 अप्रैल से 17 अप्रैल तक मनाया जाएगा।
प्रश्न: चैत्र नवरात्रि का महत्व क्या है?
चैत्र नवरात्रि देवी दुर्गा की पूजा में समर्पित नौ दिनों का उत्सव है और इसका महत्व आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत अधिक है।
प्रश्न: चैत्र नवरात्रि पूजा की तैयारियाँ क्या हैं?
चैत्र नवरात्रि पूजा की तैयारियों में – पूजा क्षेत्र को साफ करना, पूजा सामग्री का व्यवस्थित करना, और देवता के लिए मंदिर की व्यवस्था शामिल है।
प्रश्न: चैत्र नवरात्रि पूजा के लिए कौन-कौन सी पूजा वस्त्र आवश्यक हैं?
चैत्र नवरात्रि पूजा के लिए आवश्यक पूजा वस्त्रों में मृदाकलश, नारियल, धूपबत्ती, फूल, फल, और मिठाई शामिल हैं।
प्रश्न: चैत्र नवरात्रि पूजा करने के क्या कदम होते हैं?
चैत्र नवरात्रि पूजा करने के कदम देवी को आमंत्रित करना, प्रार्थना करना, आरती करना, और आशीर्वाद मांगना शामिल होते हैं।
प्रश्न: चैत्र नवरात्रि के दौरान मंत्र जप करने के क्या लाभ होते हैं?
चैत्र नवरात्रि के दौरान मंत्र जप करने का लाभ शांति, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति लाने का माना जाता है। यह मस्तिष्क को शुद्ध करने में मदद करता है और दिव्य की कृपा को आमंत्रित करता है।
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