नारी या स्त्री क्या है? | आदर्श नारी की परिभाषा ये है?

आमतौर पर महिलाएं वास्तव में मेहनती होती हैं और वे खुद ये बात भूल जातीं हैं। यह आप पर निर्भर है कि आप अपनी प्राथमिकताओं को अपने दिमाग में सबसे आगे रखें।

सौ साल पहले, महिलाओं से अपेक्षा की जाती थी कि वे पत्नियाँ और माताएँ हों, जिन्हें अच्छे, नैतिक नागरिकों की परवरिश और आरामदायक घर रखने का काम सौंपा गया हो। शिक्षकों, नर्सों, सीमस्ट्रेस, नौकरानियों और अन्य लोगों के अपवाद के साथ, अधिकांश महिलाओं के पास करियर नहीं था, जिन्होंने उचित रूप से स्त्री मानी जाने वाली नौकरी की।

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एक महिला होने का क्या मतलब है?

जबकि एक महिला होने के लिए एक बहुत ही विशिष्ट मॉडल हुआ करता था – कैसे दिखना, बात करना, भूमिका निभाना, और बैठना और एक महिला की तरह चुप रहना – वे दिन लंबे समय से चले गए हैं। जबकि निश्चित रूप से अभी भी लड़ाइयाँ चल रही हैं कि कैसे महिलाएं अपने शरीर का उपयोग करती हैं और अपने जीवन का संचालन करती हैं, दुनिया में वे जिस तरह से दिखाई देती हैं, वे पहले से कहीं अधिक विविध और बारीक हैं, जिससे नारीत्व की परिभाषा सार्वभौमिक नहीं है, बल्कि प्रत्येक महिला के लिए विशिष्ट है।

एक महिला होने के नाते जननांगों, स्त्रीत्व, या एक विशिष्ट सांचे को फिट करने के बारे में नहीं है। प्रत्येक महिला और उसका अनुभव विशिष्ट रूप से उसका है।


आज समाज में Empowerment के नाम पर जो भी हो रहा है क्या वो सही है?

आज वीमेन एम्पावरमेंट के नाम पर आप सभी बहुत अच्छे से जानते है की क्या-क्या हो रहा है। एक लड़की या महिला, एक मर्द को थप्पड़ मार दे, गाली गलोच करे या बतमीजी करें वो मजबूत मानी जाती है। जो धूम्रपान करने वाली, शराब का सेवन करने वाली लड़की या महिला है, वो मजबूत मानी जाती है। ये बहुत ही आत्म विनाशकारी तरीके है मजबूत बनने के ये बेहद ही बेकार और पतनशील वाली बातें हैं।

इन सब से कोई भी मजबूत नहीं बल्कि कमजोर बनता है। चाहे वो एक महिला हो या पुरुष हो, ये आपके शरीर को तो खोखला कर ही रहे है बल्कि व्यक्तित्व को कमजोर कर रहे है। आपको खोखला बना रहे है। ऐसी औरत या आदमी मजबूत नहीं है। इस तरीके के रिश्ते रखने वाले लोगो को लोग सशक्त और मॉर्डन समझते है, जो की गलत है बिलकुल गलत है।

जो अपने भविष्य के लिए, अपने स्वस्थ को लेकर अपने लम्बे समय का सोच कर चल रही है। जिसके के अंदर आत्म-संयम है। अगर कोई गलत काम कर रहा है, उसको करने से वो खुद को भी रोकती है और दूसरों को भी कोशिश करती है रोकने या सुधारने की। जो खुद पर गर्व करती हो, जो दूसरों पर चढ़कर खुद को मजबूत नहीं समझती हो। जो अपने शरीर को स्वस्थ करके खुद को मजबूत समझती हो, खुद को अपना ख्याल रखने के लिए मजबूत समझती हो, जो अपने विचारों से खुद को मजबूत बनती हो। ऐसी होती है एक मजबूत, असली लड़की या औरत।

ये बात समझ लीजिये जो इंसान जीवन भर अपने प्यार के साथ टिका हुआ है, वो इंसान असली मर्द या औरत है। तो आपको एक मजबूत, सशक्त लड़की, सशक्त औरत बनने के लिए किसी भी तरह की जोर-जबरजस्ती करना, या   किसी भी तरह से किसी पर चढ़ने की जरुरत नहीं है।

अगर आप अपने विचार को मजबूत बनाती हो, आत्मनिर्भर हो, आपके हौसले बुलंद है, अगर आप सही-गलत में फर्क करना जानती हो, लोग की कही हुई फालतू बातों की परवाह नहीं करती तो आप एक असली मजबूत लड़की या औरत हो।

अगर आपको परवाह करनी ही है तो अपने लक्ष्य की करो, उसके लिए मेहनत करो, कर्म करो। अगर आप अपने किसी जुनून के पीछे हो, अपने लक्ष्य को पाने की कोशिश करोगी, आत्मनिर्भर बनने की कोशिश करोगी तो, इन सब बेफज़ूल की बातों में आपका मन जायेगा ही नहीं। आपका बस एक ही लक्ष्य होगा अपने काम को आगे ले जाना खुद को मजबूत बनाना। अपने भविष्य को बेहतर बनाना।

क्या आपकी सुंदरता, शरीर ही सबकुछ है या कुछ और भी है ख़ास?

एक असल औरत क्या है? ना तो वो एक शरीर है, ना त्वचा, ना होंठ, ना खूबसूरत, ना स्तन, ना आकर्षक ना शरीर है, और ना ही उसे यह सोचना चाहिए की मेरे अंदर ये कमी है, में औरों से कमजोर हूँ, या में औरों से सुन्दर नहीं हूँ, और नाहीं उसे अपने रूप रंग, के लिए अपनी काबिलयत के लिए अपने शरीर के लिए घमंड होना चाहिए की में और औरतों से ऊपर हूँ, अलग हूँ, मर्दों को ज्यादा अपनी ओर आकर्षित कर सकती हूँ।

ये दोनों ही चीजें बिलकुल गलत है। सबसे पहले आप खुद को एक शरीर मानना बंद कर दो, अपने आप को जीता जगता कारण मत बनने दो, और जो ऐसा कर रहा है वो तो गलत है ही। अगर आप खुद को अपने शरीर से आंक रही हो अच्छा या बुरा, तो आप भी उतनी ही गतल हो, ऐसा कभी भी नहीं करना है। आप एक आत्मा हो, अपना मन हो, अपनी बुध्दि हो जीवन जीने का तरीका हो, स्वाभाव हो, व्यक्तित्व हो, आपके शौक होने चाहिए, सपने होने चाहिए कुछ लक्ष्य होने चाहिए। और उन्ही पर ध्यान दो उनको अच्छा बनाओ, उनको सुधारने की कोशिश करो, खुद के अंदर देखो क्या कमियां है उन पर काम करो उनको सुधारने की कोशिश करो और इन सब के लिए गर्व महसूस करो. मेहनत करो, कर्म करो और एक मजबूत और अच्छी इंसान बनो।

अगर कोई इंसान आपको आपके रूप-रंग के लिए आपको आंक रहा है या आपके रूप-रंग के लिए आपका मजाक उड़ा रहा है तो उस इंसान की बातों में ना आएं वह इंसान छिछोरा है, उसकी सोच छोटी है, फिर चाहे वो कोई भी हो चाहे एक हो या हज़ारों हों। ऐसे लोगो पर आपको ध्यान नहीं देना है, अपना समय नहीं बर्बाद करना है अपना कर्म करते जाना है और अपनी राह पर चलना है, अपना आने वाला कल अच्छा करना है।

या अगर कोई इंसान आपके अच्छे दिखने के लिए या आपकी सुंदरता के वजह से आपके करीब आना चाहता है, क्यूंकि आप सुन्दर हो इसलिए वो आपके ऊपर ज्यादा ध्यान दे रहा है या आपके लिए ज्यादा कुछ कर रहा है जिसकी आपको जरुरत भी नहीं सिर्फ आपके सुन्दर होने की वजह से तो इस बात को हलके में नहीं लेना है, क्यूंकि उस इंसान की मंशा गलत हो सकती है। अगर आप उसकी मंशा को स्वीकार रही हो तो आप खुद को एक शरीर मानती हो, आप खुद को एक कमजोर व्यक्ति समझती हो।

कई लड़कियां या औरतें ऐसी भी हैं जो छोटी-छोटी बातों पे सचेत हो जाती हैं परेशान हो जातीं हैं। दूसरों को देख खुद की तुलना करने लगतीं है, अपने स्तन को लेकर सचेत हो जातीं हैं, चेहरे पर थोड़े से बाल आ गए तो सचेत हो जातीं है, अगर दूसरों से दिखने में थोड़ी कमी हो जाती है तो खुद पे काम करना चालू कर देतीं है, अपने शरीर को लेकर सचेत हो जातीं हैं।

क्यूँ  होता है ऐसा? कोई जरुरत नहीं है इन सब बातों की ये शरीर आपका है, आपको एक तोफा मिला है। आप एक मजबूत, स्वस्थ हो इस बात का एहसास करो। आप जीवन को अच्छे से जी पा रही हो, आपमें एक ऊर्जा है  ऊर्जायुक्त हो आपका शरीर अच्छे से काम कर रहा है इस बात का ध्यान रखो एहसास करो। भगवान का शुक्र करो, और इस बात की सराहना भी करो।

इन सब बातों का कोई मतलब नहीं है, ये सब घटिया, बेकार बातें है, सड़कछाप बातें हैं, इन्ही सब बातों के नतीजे है। अगर कोई आपको आंक रहा है तो आप उनको आंको और आगे बढ़ो बोलने दो जिसको जो बोलना है। आपको अपने कर्म पर ध्यान देना है अपने आनेवाले कल के लिए बेहतर सोचना है।

चाहे आपकी कोई भी उम्र हो, चाहे आपका कैसा भी शरीर हो, आप सुन्दर थी, सुन्दर हो, और सुन्दर ही रहोगी चाहे आपसे कोई कितना भी कुछ कह ले, लेकिन अगर आपका मन सुन्दर है, आपके विचार साफ़ है, अच्छे है तो, ऐसे आप मजबूत बनकर जी पाओगी।

आपको ये बात समझनी चाहिए की शरीर की सुंदरता हमेशा नहीं रहती है, उम्र के साथ-साथ ढलती जाती है, काम आते है सिर्फ मन और बुध्दि, और एक असल औरत या लड़की ऐसी नहीं होती। खुद को शरीर मानना बंद कर दो 

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By Aparna Patel

Aparna (www.womenday.in) is the founder, she started her writing career in 2018. She has another site named (www.hollymelody.com) where she publishes travel related articles where she has published more than 1000+ articles. Aparna likes to write on various subjects.

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