बेचारी एक औरत है ना क्या ही कर सकती है?


मैं एक औरत हूँ, मैं क्या कर सकतीं हूँ? | स्त्री की सबसे बड़ी ताकत क्या है?
 
एक असली लड़की या औरत क्या कुछ नहीं कर सकती?

बहुत सी औरतों को आप यही कहते हुए सुनते होंगे की… मैं एक औरत हूँ, मेरा काम सिर्फ घर, परिवार बच्चे संभालना है, मैं एक औरत हूँ, मैं बाहर का काम नहीं कर सकती, मैं एक औरत हूँ शारीरिक कार्य नहीं कर सकती, मैं एक औरत हूँ, मैं आदमियों की तरह व्यापार नहीं कर सकती, मैं एक औरत हूँ, मैं आदमियों की तरह बिक्री नहीं कर सकती, मैं एक औरत हूँ, मैं दुनिया से मेल-जोल नहीं कर सकती, मैं एक औरत हूँ में अच्छे से बात नहीं कर सकती, मैं एक औरत हूँ, मुझे मर्दों से दूर रहना है, और ना ही उनसे बात करनी है क्यूंकि में नहीं कर सकती… मैं एक औरत हूँ, मैं ये नहीं कर सकती, मैं वो नहीं कर सकती… ऐसी तमाम बातें जो एक औरत एक लड़की खुद के लिए सोचती है।

जब एक औरत या लड़की खुद को इतना कमजोर मान लेती है, खुद को समाज से, दुनिया से अलग रखती है। अपने जगह को बस एक घर ही कह रही है, तो वो एक असली लड़की या औरत कभी नहीं है क्यूंकि एक औरत या लड़की वो सब काम कर सकती है जैसे मर्द कर रहे है और आप ऐसा देख भी सकते है समाज में ना जाने कितनी औरतें, लड़कियां वो सब काम कर रहीं हैं, जो एक मर्द कर रहे है। एक असली औरत समाज से, किसी भी परिस्थिति से सामना करने से कभी नहीं डरती है।

मैं एक औरत हूँ, मैं एक शारीरिक कार्य नहीं कर सकती – अगर आप ऐसा ही सोच रहे है तो आप गतल है। इंसानी दुनिया सिर्फ शरीर से ही नहीं चलती, दिमाग के दम पर ही तो चलती है। जब एक मर्द शारीरिक कार्य क्षमता के आधार पर 100% कर रहा है तो औरत 70-80% तो कर ही सकती है ना… बल्कि करती भी है और कर रही है। आप ऐसे बहुत सी महिलाओं को, लड़कियों को जानते भी होंगे, देखते होंगे।

आप देख सकते है हर दफ्तर में, बहुत से ऐसे विभाग, बहुत सी ऐसी जगह जहाँ लड़कियों की औरतों की संख्या कम थी लेकिन अब धीरे-धीरे बढ़ रही है। तो जब वो औरतें या लड़कियां कर रहीं हैं तो आप भी कर सकती हो बस थोड़ी मेहनत करने की जरुरत है। यकीं मानो आप भी कर सकती हो।

खुद को कम मत आंको जो काम एक मर्द कर सकता है आप भी कर सकती हो। बल्कि करके देखो कोई भी काम बड़ा या छोटा नहीं होता है। आपको जो भी अच्छा लगता है जिसमे आपकी रुचि हो, जिस काम को करके आपको आनंद अत हो उस काम को करो। खुद को घर में कैद करके मत बैठों, खुद को घर में रखा एक सजावटी सामान मत समझो।

आप भी आगे बढ़ों, आप भी काबिल हो किसी से काम नहीं हो, आपको किसी के सहारे की जरुरत नहीं है। आप भी इस समाज से, इस दुनिया से मेलजोल कर सकती हो, आप भी इस दुनिया में खुद को संभाल सकती हो अपने दम पर।

ऐसे प्लेटफार्म है इंटरनेट पे जहाँ आपको ऐसी-ऐसी लड़कियों और औरतों की कहानियां सुनने को मिलेंगी जिन्हे सुनकर आप प्रेरणा ले सकते हो। आप Youtube पर joshtalk देख सकते हो जहाँ ना जाने कितने लोग ऐसे है जिन्होंने अपनी जिंदगी से हार नहीं मानी, उन चुनौतियों का उन मुश्किलों का सामना किया और अपने जीवन को एक अच्छी और नई राह दी। खुद को इस समाज में रहते हुए, संघर्ष करके अपना नाम बनाया।

खुद को कमजोर मत बनाओ मजबूत बनाओ


औरत त्याग की देवी और पुरुष प्रधान समाज

ये तो अपने सुना ही होगा औरत त्याग की देवी होती है और पुरुष प्रधान समाज….

बहुत सालों से समाज में औरतों और लड़कियों का अन्याय, शोषण होते आया है लिंगभेद, दुस्र्पयोग सब चलते आ रहा है पुरुष प्रधान समाज और औरतों को दूसरे स्थान में रखा जाता है, क्यूंकि वो तो त्याग की देवी है। घर को संभालेगी, मर्द को संभालेगी, मर्द बहार जाकर काम करेगा औरत घर संभालेगी, मर्द औरतों पर हाथ उठा सकता है लेकिन औरत नहीं उठायेगी और इन्ही सब चीजों से ना जाने कितनी महिलाएं इस बात को मानती भी है और सहन भी करतीं हैं।

मैं एक औरत हूँ, मैं क्या कर सकतीं हूँ? | स्त्री की सबसे बड़ी ताकत क्या है?

औरतों के बारे में जानकारी

जबकि इस बात से वो परेशान है, दुःखी है फिर भी उन्होंने मान ही लिया है की यह जो भी है सब सही है। वो घुट-घुट कर जीती रहेंगी, पीटेंगी भी, सहेंगी भी तब भी उन्हें ये लगता है जो है… सो यही है अब… उन्हें ऐसा लगता है की मैं इन सब चीजों के लिए ही हूँ, वो नहीं लड़ सकती, विरोध नहीं कर सकती, इन सब का सामना नहीं कर सकती चाहे वो उसके घरवाले हों, चाहे वो फिर कोई भी हो… 

आज जहाँ माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ाने-लिखाने के लिए क्या कुछ नहीं करते की मेरे बच्चे काबिल बने उन्हें कोई तकलीफ ना हो ख़ासतौर पर लड़कियों के लिए वहीं ऐसा भी देखा गया है की ज्यादातर माता-पिता ऐसे भी करते है जो अपनी लड़कियों को पढ़ने नहीं देते क्यूँ? क्यूंकि उन्हें ऐसा लगता है की अगर ये पढ़ लिख जाएंगी तो अपने पैरों पर खड़ी हो जाएंगी, मजबूत बन जाएंगी, आत्मनिर्भर बन जाएंगी, अगर ये पढ़ लिख गई तो ये सर पर चढ़ेंगी, किसी की बात नहीं मानेगी इसलिए उसको कमजोर ही रहने देते है।

वे सोचते है जितनी जल्दी हो सके लड़की की शादी करवा दो अगर ये पढ़ लिख गयी तो सर पर चढ़ेगी, हो सकता है अपने मन से शादी कर ले, ना घरवालों से दबेगी ना सुनेगी और ना ही किसी लड़के से दबेगी इसलिए इसकी जल्द से जल्द शादी कर दो. अगर पढ़ी-लिखी कम होगी तो सभी से दब कर रहेगी। ससुराल में डरकर, दब कर रहेगी इसलिए 18 होते ही उसकी शादी करवा दी जाती है. खैर अब तो ये ख़ुशी की बात है की शादी की उम्र बढ़ा दी गई है।

इसी सोच-समझ से कई माता-पिता अपनी बच्चिओं को पालते-पोसते है। इसका अंजाम ये होता है की जब उन बच्चिओं पे अत्याचार हो रहा होता है, उनके साथ कुछ गलत हो रहा होता है, तो वो अपने लिए आवाज नहीं उठा पातीं, अपने लिए नहीं लड़ पातीं क्यूंकि उनको ऐसा लगता है की वो ही गलत है, वो ही कमजोर है। उन्हें यही लगता है की लड़कयों के साथ तो ऐसा ही होना है। नहीं ऐसा बिलकुल भी नहीं है यह बहुत गलत बात है। एक अलसी लड़की या औरत ऐसी बिलकुल भी नहीं होती है।

एक असली लड़की या औरत वही है जो अपने लिए गलत होने वाले बर्ताव का समना भी करती है, वह लड़ती भी है चाहे साल बीत जाएं, चाहे अपनों से लड़ना पड़े विरोध करना पड़े, वो करती है, सबका सामना करती है, पढ़ती भी है और अपना रास्ता भी बनती है, फिर चाहे कितनी भी उन रास्तों में मुश्किलें आएं, चाहे कुछ हो जाए वो अपने लिए, अपने आने वाले भविष्य के लिए संघर्ष करती है, उन चुनौतियों का डटकर सामना करती है, पीछे नहीं हटती अपना रास्ता बनाती है, आत्मनिर्भर भी बनती है, और खुलकर जीती भी है घुट-घट कर नहीं जीती है।

एक असली औरत ना तो अपने पति की मारपीट सहेगी, उसके ऊपर हो रहे अत्याचार को नहीं सहेगी, उसकी गाली-गलोच को नहीं सहेगी, उसके साथ हो रहे छल, ठगी, धोखाधड़ी को नहीं सहेगी, फिर चाहे कुछ भी हो जाय, चाहे सड़क पे आने का डर हो, चाहे भूखे रहने का डर हो, चाहे कुछ भी डर क्यों न हो, लेकिन वो गलत बात बर्दाश्त नहीं करेगी वो है एक असली औरत या लड़की। अगर आप ये सब सह रहे है तो कहीं ना कहीं ये आपकी भी गलती है क्यूंकि ऐसे करने से सामने वाले को गलत करने का मौका मिल रहा है अगर आप उसी वक्त आवाज उठतीं हैं, तो काफी हद तक इन सब चीजों को रोका जा सकता है।

जब एक इंसान में.. दूसरे इंसान का सामना करने की शक्ति आ जाती है न.. तभी सामने वाला इंसान झुकता है। लेकिन अगर आप सही हो फिर भी आप उन बातों को सहती रहोगी, झुकी रहोगी, गलत बात बर्दाश्त करती रहोगी, सहन करती रहोगी, तो सामने वाला चाहे कितना ही गलत क्यों न हो वो और ज्यादा गलत बनता जायेगा। इससे आपका और शोषण होता चला जायेगा।

एक असली औरत ऐसा बिलकुल भी ऐसे नहीं करती वो अपने लिए लड़ती भी होती है, अपना रास्ता भी खुद बनाती है, गलत बातों को बर्दाश्त नहीं करती उसका सामना करती है, अपने जीवन की एक सही राह बनाती है, आत्मनिर्भर बनती है और खुद को कमजोर नहीं मानती है।

एक असली औरत या लड़की अगर वो सही है और उसके सामने चाहे कितने ही लोग क्यों न हो, चाहे उसके घर वाले हो या कोई भी वो हार नहीं मानेगी, वो अपने हक़ के लिए डटकर सामना करेगी, सबसे लड़ेगी, डरेगी नहीं… और ऐसी औरतें होतीं भी है, आप देख सकते है, अपने आस-पास, आप उनसे बहुत कुछ सीख भी सकते है, की कैसे वो अपने जीवन में इतने आगे बढ़ी, किन-किन संघर्षों का सामना करके उन्होंने अपनी राह बनाई।

किन-किन चुनौतिओं का सामना किया और आज अपना जीवन खुलकर जी पा रहीं हैं। तो जब वो औरतें या लड़कियाँ ऐसा कर सकतीं हैं तो आप क्यूँ नहीं? 

अगर आप इस दलदल में फंसी है तो खुद को निकालिये इस दलदल से बाहर, कोई नहीं आएगा आपको निकालने आपको अपना रास्ता खुद ही बनाना है। खुद ही लड़ना है, निकलना है और अपना रास्ता बनाना है।

By Aparna Patel

Aparna (www.womenday.in) is the founder, she started her writing career in 2018. She has another site named (www.hollymelody.com) where she publishes travel related articles where she has published more than 1000+ articles. Aparna likes to write on various subjects.

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